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वैकल्पिक प्रोजेक्ट (परियोजना) संबंधी बयान

सामाजिक बदलाव के लिए शैक्षिक न्याय: प्रारूप के लिए एक प्रारूप (प्रारूप)

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हम, अधोहस्ताक्षरी लोगों का मानना ​​है कि वर्तमान आर्थिक, आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षणिक व व्यवस्थाएँ सत्ता के उन संबंधों को पुनस्र्त्पादित करतीहैं असीम असमानताओं हैं और धरती पर जीवन लिए लिए ख़तरा पैदा करतीहै।हम वैकल्पिक शिक्षा का सुधारात्मक शिक्षा प्रणालियों प्रणालियों समर्थन करतेहैं जो एक संपन्न, न्यायसंगत और सतत दुनिया बनाने के लिए सामाजिक बदलावोंका समर्थन करेंगी।

सह-अस्तित्व और अंतर-संबंधित वैश्विक संकट मानवता और जीवित कोराजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक ध्वंस की ओर ओर रहे रहे।। येसंकट - मौजूदा समय में दुनिया भर में कोरोनो वायरस, संरचनात्मकअसमानताओं, पुलिस पुलिस और व्यापक, व्यापक पितृसत्ता, जलवायु अराजकतामें बढ़ती तेज़ी और युद्धों के बढ़ते बढ़ते खतरे तौर पर देखे जा रहे वैश्विकतौर वैश्विकतौर पर पर। और हमें इस अनोखे ऐतिहासिक मौकेका इस्तेमाल सार्वजनिक शिक्षा पर फिर से विचार करके और उसमें क्रांतिकारीपरिवर्तन जरिये जरिये बदलाव के एक ऐसे बिंदु के तौर पर तैयार नस्लवाद नस्लवाद पितृसत्ताऔर पितृसत्ताऔर नस्लवाद नस्लवाद नस्लवाद नस्लवाद नस्लवाद नस्लवाद पितृसत्ताऔर हम इस धारणा को खारिज करते हैं कि शिक्षाकी मानव 'मानव का' का निर्माण करना है; हम इस बात को मज़बूती केसाथ कहते हैं कि शिक्षा की प्राथमिकताओं में फिर से पैदा होने वाले पारिस्थितिकतंत्र तथा वर्तमान और भावी के के सामाजिक सामाजिक न्याय शामिल होनाचाहिए। इसके लिए ऐसी शिक्षा प्रणालियों के निर्माण की आवश्यकता है, जिन्हें हम केवल सभी क्षेत्रों और खासकर अर्थव्यवस्था और राजनीति में सामाजिकपरिवर्तन लिए एक व्यापक व्यापक संघर्ष के के रूप में प्राप्त कर सकते हैं।

नये सामाजिक समझौते बनाने के लिए प्रगतिशील संघर्ष आवश्यक हैं जो कुछ केनिहित स्वार्थों के बजाय बहुत सारे लोगों के सामूहिक हितों को साधने का कामकरते।। है इतिहास जटिलता की पूरी एक श्रृंखला और शक्ति संबंधों केजरिये तैयार किए गए सामाजिक परिवर्तनों को है: कृषिवाद से औपनिवेशिक, औपनिवेशिक विजय के अधिनायकवादीतानाशाही, पोस्ट उपनिवेशवाद, नव उदारवादी वैश्वीकरण और डिजिटल क्रांतियोंऔर स्थिति के बीच मिलीभगत जो आज हम लोगों के सामने है।

प्रत्येक नया वर्चस्वशाली वर्ग एक ऐसी विचारधारा को पैदा करता है जो उसकेवर्चस्व को बनाए रखने है है, है असमानताओं को ठहरातीहै ठहरातीहै जिनका कि यह खुद निर्माण है।। और इस निराशावाद को बढ़ावा देती हैकि परिवर्तन हमेशा संभव है। ये वैचारिक वर्चस्व लगभग हमेशा उस दिशा में बढ़नेके लिए तैयार रहता है और शिक्षा प्रणाली का का करता मानव मानव / मानव-मानव, पुरुष / महिला, मन / शरीर, धर्मनिरपेक्ष / आध्यात्मिक, श्रेष्ठ / हीन, शहरी / ग्रामीण, हम / वेपर जोर देती और- और मानती है कि उसे जीतने तथा प्राकृतिक दुनिया और सभीजीवित प्राणियों का शोषण करने का अधिकार है। वैश्वीकरण और जलवायुपरिवर्तन के कारण दुनिया भर में उभरते अधिनायकवादी, राष्ट्रवादी, पितृसत्तात्मक पितृसत्तात्मक बसने वाली आबादी, इन विरोधाभासों को तेज़करती है अपनी अपनी पकड़ मजबूत करने के सामाजिक असुरक्षा असुरक्षा को उकसानेका काम करती।।

आज दुनिया भर की शिक्षा प्रणालियां नवउदार पूंजीवादी और दक्षता विचारों, लौटने की विकल्प, विकल्प, प्रतियोगिता और और प्रगति के नज़रिये को ध्यान मेंरखकर तैयार की जा जा हैं।। यह विचारधारा वैश्विक अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीयराजनीतिक प्रणालियों को आकार देने के लिए समृद्ध औरबे औरबे हिसाब हिसाब जोअंतत जोअंतत हमेशा हमेशा वाला जोअंतत जोअंतत जोअंतत जोअंतत जोअंतत जोअंतत आधारित आधारित आधारित सामने सामने सामने सामने सामने आती है। इस तरहसे संगठित हुई शिक्षा प्रणालियां सामाजिक असमानता, बिलगाव और देश केभीतर और राष्ट्रों के पैमाने पर स्तरीकरण को लागू करने के साथ ही उसे वैधताप्रदान करती हैं। फिर भी मौजूदा वर्चस्व को जब तक यह परिलक्षित करती है किशिक्षा भी मुकाबले का एक बड़ा क्षेत्र है। अधिनायकवादी राज्य इस बात को अच्छीतरह से जानते हुए कि शिक्षा बदलाव की एक ताकत धीरे धीरे धीरे धीरे धीरे और आज्ञाकारी हथियार के तौर पर उसके निर्माण को करते हैं।।

नतीजे के तौर पर बहुत सारे बच्चों और युवा लोगों के लिए यह बे-रंग होजाती होजाती। उनके द्वारा हासिल की जाने वाली शिक्षा की सामाजिक-सामाजिक सामाजिक उनके उनके परिवारों भौगोलिक लोकेशन के हिसाब हिसाब से बंट जाती है है शिक्षाज्यादातर प्रतियोगात्मक बाज़ारों में तैयार होती है नस्ल, वर्ग और लैंगिकअसमानता जहां निजी मालिक और ठेकेदार तथा शिक्षक एवं प्रतियोगिताकरते हैं और फिर उनकी होतीहै एक एक एक हिसाब होतीहै होतीहै होतीहै होतीहै होतीहै केगठन केगठन केगठन केगठन केगठन केगठन मानव पूँजी के निर्माण और लौटने की आर्थिक दर तथा पैसे के के मूल्य करता है है। यह मॉडल मानव अपवादवाद, नस्लीय पूर्वाग्रह और श्वेत प्रभुत्व, मतभेद के आर्थिक, आर्थिक और राजनीतिक असमानता को उच्चतमव्यक्तिवाद, उच्चतमव्यक्तिवाद, अबाधित आर्थिक बड़े, बड़े-बड़े दावों का खुला औरतानाशाही औरतानाशाही शासन के अनुपालन की व्यवस्था लागू लागू।। इसका एक नतीजावह विचित्र अंतरविरोध है कि मानव इतिहास में सबसे ज्यादा शिक्षित आबादीसामूहिक रूप से जीवित ग्रहों की प्रणालियों की के ध्वंस का कारणबन रही है जो सामूहिक आत्महत्या पारिस्थितिकी पारिस्थितिकी के खात्मे का रास्ता।।

हैं तीस सालों के दौरान सिविल सोसाइटी और शैक्षिक यूनियनें सभी के लिएशिक्षा आकांक्षा आकांक्षा हैं हैं हैं: अनिवार्य शिक्षा काअभूतपूर्व के के रोज़ाना करोड़ रोज़ाना रोज़ाना है रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना रोज़ाना 8-12 -12 -12 -12 बच्चोंके -12 -12 8-12 बच्चोंके -12 स्कूली शिक्षा पूरा करना करना बहुत जरूरी है। औरज्यादातर सरकारें मानती हैं कि बच्चों और युवाओं को मुफ्त शिक्षा मुहैया करानाएक अच्छी सरकारी नीति है। आस हम लोग इसको हासिल करने के मामले आस पास-पास भी नहीं हैं। कुछ हिस्से में, पिछले चार दशकों के बाजार केकट्टरतावाद के चलते बड़े पैमाने पर सामने आए संरचनात्मक अन्याय ने सामाजिकक्षेत्रों लगातार खर्चे को कम किया और सभी तरह के सरकारी गतिविधियों कोअप्रभावी और नाजायज़ तौर। नतीजे के तौर परशिक्षा के ऊपर खर्चा बेहद अपर्याप्त हो गया है और ज्यादा फंडिंग की जरूरत है।राष्ट्रीय सरकारों और द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संगठनों संगठनों लिए लिए यहसंभव भी है।

ऐसा नहीं कि पैसा नहीं है; सरकारों के पास हमेशा सेना, पुलिस, सुरक्षा औरखुफियागिरी और कारपोरेट कल्याण पर खर्च करने के लिए पैसा होता होता है। इसविचार से लड़ने की दिशा में नव उदारवादी उदारवादी उदारवादी निजीकरण के एजेंडे को आगे बढ़ानेके कमी को एक सोचे सोचे सोचे और आत्मसंयम सोचे सोचे समझे समझे विकल्प के रूप में। पेश।।। करना होगा होगा हालांकिशिक्षा पर खर्चे के लक्ष्य को पूरा करने के मामले में में एक सहमति है।। का कि ज्यादातर सरकारें अपने बजट का 20 फीसदी और के फीसदीशिक्षा 6 फीसदीशिक्षा पर खर्च के अपने लक्ष्य को भी पूरा नहीं कर पातीं। 7 समुदाय नेदशकों से अपनी जीडीपी 7 0,7 फीसदी सरकारी विकास सहायता पर खर्च करनेका वादा किया था लेकिन इसका एक छोटा हिस्सा ही उसके लिए आवंटित करपाता है। और ये सभी लक्ष्य जरूरत को बहुत कम करके आंकते हैं।

हमें इन तर्कों को सार्वजनिक तौर पर भी स्थापित करना होगा। समस्या फंडिंग केपार है। आईएमएफ और विश्व बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं नव उपनिवेशवादीसंस्थाएं हैं जो पूरे विश्व उदार उदार, तथाकथित वाशिंगटन आम सहमति कीनीतियों को बढ़ावा दे रही।। नीतियों विभाग की और (और दूसरी सामाजिक) कोप्रभावित करने में आईएमएफ और विश्व बैंक की की महत्वपूर्ण भूमिका है। शिक्षा मेंसहयोग देने के बजाय आईएमएफ वास्तव में देशों को शिक्षकों और दूसरेसार्वजनिक क्षेत्र के वर्करों को हायर करने पर रोक लगा रहा है। विश्व बैंकवस्तुपरक सलाह के लिए एक रिसर्च आधारित संस्था होने का बहाना बनाता हैलेकिन उसकी पिछले चार दशकों की शर्तें और सिफ़ारिशें नव उदार विचारधारा परआधारित।। आईएमएफ और विश्व बैंक में ओवरहालिंग के लिए एक नयी ब्रेटनवुड कांफ्रेंस बुलाने का यह सबसे बेहतरीन समय है।

हम क्रांतिकारी बदलाव का आह्वान करते करते। सभी सरकारों को प्राथमिक शिक्षा सेलेकर उच्च शिक्षा के लिए मुफ्त सार्वजनिक शिक्षा की व्यवस्था को स्थापित करनाचाहिए महत्वपूर्ण, महत्वपूर्ण, हम कैसे सोचते हैं उसका लोकतांत्रिकपुनर्मूल्यांकन करने दुनिया में एकजुट होकर काम करने करने योग्य बनाएगा।शिक्षा पर पर मानव अधिकार पर पर पर मुहैया कराने के लिए एक पूरी तरह सेपब्लिक फंडेड सिस्टम होना चाहिए जो राष्ट्रीय प्रगतिशील प्रगतिशील, पुनर्वितरणकारी कर प्रणालियों के ज़रिए आधार वित्त पोषित-पोषित हो। औरयह सब कुछ अंतरराष्ट्रीय समुदाय की शर्तहीन सहायता के साथ हो। लेकिनपाठ्यक्रम को पूरी ताकत से उपभोक्ता जटिलता को विनम्रता पूर्वक खारिज करदेना चाहिए जो ग्लोबल वार्मिंग और तबाही बढ़ावा देने सहयोगी, सामाजिक प्रेम, प्रेम, सृजनात्मकता, निजी, शांति, शांति, सृजनात्मकता, सृजनात्मकता, निजी, शांति, पर्यावरणपक्षी, लोकतांत्रिक, लोकतांत्रिक और मानवीयमूल्यों को बढ़ावा देने वाली शिक्षा में बदलने के प्रयास होने स्वायत्तता स्वायत्तता, गुणवत्तापरक कार्यस्थितियां और यूनियन तथा दूसरे संगठनों केज़रिए निर्माण में मुख्य आवाज़ के तौर शामिल किए जाने की की जरूरत है।उसी तरह को और को प्रतिनिधि प्रतिनिधि संगठनों राजनीतिक और शिक्षा शास्त्रसंबंधी फैसले में भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए इसके अलावा उनकी अपनीभागीदारी के अधिकार का उनको ज्ञान होना चाहिए।

सामाजिक बदलाव के लिए दुनिया को शिक्षा में क्रांतिकारी पुनर्दृष्टि की जरूरत जरूरत। इसके लिए एक नये सामाजिक समझौते की जरूरत होगी जो सैन्य और सुरक्षासंबंधी ख़र्चों के मुकाबले सामाजिक ख़र्चों को तरजीह देता है और व्यावसायिक के के क्षणिक हितों से ऊपर उठकर सोचे। जिसमें एडटेक फर्म्स, निजी स्कूलोंकी श्रृंखलाएं और शिक्षा से जुड़े अन्य अन्य खिलाड़ी शामिल हैं। हमशिक्षा के निजीकरण और दूसरी सामाजिक सेवाओं की दिशा में ढाँचागतपरिवर्तन का का आह्वान रहे हैं हैं। जिसमें शिक्षा और नीतिगत निर्माण में व्यवसाय केतर्क को बिल्कुल बाहर रखा जाना है। इसके बजाय हम संगठित छात्रों औरअध्यापकों, पूरे ट्रेड यूनियन आंदोलन, लोकतांत्रिक समुदाय आधारित जिसमें जिसमें अल्पसंख्यकों संगठन, प्रवासी और शरणार्थी हैं हैं स्वतंत्रमीडिया, संगठनों और प्रोफेशनल गलत चीजों में हमारे न्याय न्याय हैं हैं हैं हैं हम रहते हैं, के संघर्षों पर ज़ोर देते हैंऔर उनसे सबक सीखते सीखते हैं। हैंजो समूह पहले ही शैक्षिक न्याय के लिए विकल्पविकसित कर चुके हैं जिसमें स्कूल गैर औपचारिक शिक्षा प्रोग्राम हैंजो 21 हैंजो सदी समाजवादी, स्थानीय ब्लैक ब्लैक संप्रभुता, ब्लैक मैटर, दास-प्रथा विरोधी और दास शिक्षा शास्त्र को समर्थन करता करता

है में न्याय चार क्षेत्रों में जस्टिस से संबंधित न्याय को को बढ़ाने पर है है:

सामाजिक न्याय- शिक्षा का का समानता और और सामाजिक

शिक्षा प्रणालियों को उस नई दिशा में ले जाने की जरूरत है जो अपने समाजों अन्यायों, अन्यायों भेदभाव बढ़ावा, बढ़ावा और विकलांगतान्याय को हल करे और मॉडल को शामिल करने की जरूरत है जो से से से से काम करते हुए शिक्षा और समाज कोबदलाव की तरफ ले जाना जाना।

जलवायु न्याय- इस बात को सीख़ना है है धरती पर कैसे कैसे हम पुनर्उत्पादक जीवनगुजार सकते हैं

हमें वैश्विक स्तर पर एक नई ग्रीन डील और सार्वजनिक शिक्षा प्रणालियों कीजरूरत है जो मानव पारिस्थितिकी और गुणों के पक्षपोषण शिक्षा देती है जोआज के और भविष्य दोनों में बदलावों के लिए सुविधा प्रदान।।

आर्थिक न्याय- बदली हुई अर्थव्यवस्था में शिक्षा शिक्षा और सार्वजनिक सार्वजनिक सेवाओं कावित्तपोषण

आर्थिक प्रणाली को लाभ के बजाय समानता और अवसर पर केंद्रित करते हुएसभी लोगों की असली ज़रूरतों को पूरा करना चाहिए।। इस महामारी को पूँजीवादपूंजीवाद से बिल्कुल दूर एक बुनियादी बदलाव और कार्यस्थलीय लोकतंत्र तथारेडिकल रूप से एक पुनर्वितरित अर्थव्यवस्था दौर के.

राजनीतिक न्याय- सभी स्तरों स्तरों राजनीतिक रिश्तों रिश्तों का

हमें सर्वसत्तावादी और उन्मादी राष्ट्रवाद से दूर जाने की जरूरत है। हमें वैश्विकएकजुटता को ऊर्जावान बनाने, अंतरराष्ट्रीय सहयोग को सुनिश्चित करने औरवैश्विक स्तर पर अलग -अलग हिस्सों में चलने वाले ज़मीनी आंदोलनों को मजबूतकरने पर ज़ोर देना चाहिए . हमें स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर और ज्यादासमावेशी और भागीदारी भागीदारी को को करने की जरूरत है।

ये शुरुआती विचार कोई दूरस्थ, काल्पनिक मृगतृष्णा नहीं हैं। ये दुनिया के बहुतसारे प्रगतिशील समूहों और संगठनों के विचारों और कार्यवाहियों के आधार परनिर्मित किए गए हैं। हम अधोहस्ताक्षरी इन विचारों को, धरती और मानवता केसामने आए गहरे संकट का मुकाबला लिए लिए लिए

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